Raghavendra kumar mishra
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ
यह ब्लॉग खोजें
शनिवार, 22 जनवरी 2022
द्वारिका की शाम
मंगलवार, 11 जनवरी 2022
द्वारिका के द्वारिकाधीश
सोमवार, 10 जनवरी 2022
अयोध्या में एक दिन
गुरुवार, 2 सितंबर 2021
उज्जैन यात्रा भाग-2
मंगलवार, 31 अगस्त 2021
गुप्ताधाम की यात्रा
मंगलवार, 9 मार्च 2021
उज्जैन यात्रा भाग-1
रविवार, 20 दिसंबर 2020
गंगोत्री धाम यात्रा : खूबसूरत रास्तों की मंजिल
नीरज जाट जी की गयी हर्षिल -धराली यात्रा व वाधवा जी के हर्षिल यात्रा वृत्तांत ने मन में इस यात्रा की इच्छा पैदा कर दी थी । हम शिक्षकों को मई -जून में मिलने वाली छुट्टियाँ ही घूमने का अच्छा मौका देती हैं तो मैंने भी उसी समय के हिसाब से तैयारी शुरू कर दी और अन्य तीन मित्र अवनीश ,रमेश व दिनेश के साथ वाराणसी से हरिद्वार तक का ट्रेन का आरक्षण करा लिया।
जब हम 3 जून 2019 को हरिद्वार पहुँचे तो अभूतपूर्व भीड़ से सामना हुआ ...लगा जैसे पूरा देश हरिद्वार में उमड़ पड़ा है किसी तरह एक धर्मशाला मिली । 'हर की पैडी' पर स्नान कर व शाम की आरती देखकर हम देर तक गंगा जी के किनारे घूमते रहे । अगली सुबह 4 जून को हमारी गाड़ी आना तय हुई थी और हम चारो की यात्रा प्रारंभ होनी थी।
सुबह हम फिर घाट पर नहा धोकर तैयार हो गए और ड्राइवर के बताए निर्धारित स्थान भीमगोडा बैराज पर पहुँच गाड़ी में सवार, हो गए। वहीं हमने कुछ केले, अखबार व पानी भी गाड़ी में रख लिया। अखबार से पता चला कि कल 'सोमवती अमावस्या' का बड़ा स्नान पर्व था और हरिद्वार में 4 लाख लोगों ने स्नान किया। अब तो भविष्य की सभी उत्तराखंड की यात्राओं में इस तिथि का ध्यान रखेंगे।
हरिद्वार से उत्तरकाशी के लिए मुख्य प्रचलित रास्ता ॠषिकेश, नरेन्द्रनगर, चम्बा व चिन्यालिसौड़
होकर जाता है जिस पर चारधाम सड़क परियोजना का काम चल रहा है एक दूसरा रास्ता देहरादून मसूरी होते हुए चिन्यालिसौड़ जाकर मिलता है हम उसी रास्ते पर चल पड़े । यह रास्ता पहले वाले की तुलना में थोडा लम्बा पर कम ट्रैफिक व वाला था । ड्राइवर के लिए यह रास्ता नया था तो गूगल मैप का सहारा लेना पड़ रहा था ..इस रास्ते में मसूरी लेक पड़ रही थी तो वही हमनें गाड़ी रोकी । यहां एक जल धारा को रोककर एक छोटा तालाब बनाया गया है जिसमें छोटी पैर चालित बोट हैं लेक के किनारे रैस्टोरेंट है बगल में जिप लाईन एडवेंचर व पैराग्लाईडिग भी हो रही थी उत्तराखंड में ऐसे एडवेंचर पार्क अब जगह जगह मिलने लगे हैं। लेक से एक रास्ता मसूरी चला जाता है दूसरा न्यू बाईपास बनाते धनोल्टी होते चंबा। उस दिन अत्यधिक भीड़ के कारण मसूरी में वाहनों का प्रवेश रोका गया था।अब मेरे दिमाग में धनोल्टी घूम रहा था क्योंकि मैंने इसके बारे में पढ़ रखा था पता नही हमने कौन सा मोड़ मिस किया और भूलवश ही सही हम धनोल्टी के रास्ते पर बढ़ चले । धनोल्टी आते ही हरियाली बढ़ने लगी वातावरण में नमी बढ़ने लगी । हिमालय में जिन स्थानों पर उँचाई व कम धूप का योग बनता है वहाँ हरियाली व सुन्दरता बढ़ जाती हैं हमने धनोल्टी ईको पार्क के पास गाड़ी रोकी व 50 रू का टिकट काटाकर पार्क में घुस गए। लोगों ने पहाड़ की ढलानों पर पार्क विकसित कर लिए हैं जिसमें विभिन्न फूल, घास के मैदान , एडवेंचर गेम, उँचे देवदार के पेड़ व बैठने की जगहें हैं । कुल मिलाकर सुन्दर दृश्य मिलता है। रास्ते की थकान मिटाने व बच्चों के लिए अच्छी जगह है। उस समय वहाँ एक स्कूल के बच्चे आए थे जो जिन्हें एडवेंचर गेम व क्विज़ के पुरस्कार दिए जा रहे थे। रमेश जी ने कहा कि यहाँ बच्चों को लेकर आने लायक है।
अब यहाँ से आगे बढने पर गड़बड़ी शुरू हुई ..अब गूगल मैप से पता चल रहा था कि हमने चिन्यालिसौड़ का रास्ता छोड़ दिया है एक दो गाड़ियों से पूछा भी वह कुछ बता नही पा रहे थे पर मुझे चंबा का रास्ता स्पष्ट दिख रहा था तो ड्राइवर को उसी रास्ते पर बढ़ने को कहा।बाद में मैंने हमारी गलती पकड़ी कि हमने सुवाखोली तिराहे से चंबा वाली रोड पकड़ ली थी जबकि हमें चिन्यालिसौड़ के लिए सीधे जाना था। खैर यह गलती ठीक ही रही धनोल्टी घूम लिया हमने |







