मेरी केदारनाथ व बद्रीनाथ यात्रा
१-यात्रा की तैयारी--
केदारनाथ जाने की इच्छा तो
बहुत दिनों से थी |उत्तराखंड में 2013 में हुई त्रासदी के बाद से डर तो बढ़ा पर
मन में जाने की इच्छा और प्रबल हो गयी थी| अंतिम निर्णय तब लिया जब जून 2015 में वहाँ से
लौटे एक मित्र से वहाँ का वर्णन सुना | फरवरी महीने से ही अपनी आदत अनुसार मैंने जानकारी
जुटानी शुरू कर दी और मई 2016 महीने के
अंतिम सप्ताह में जाने का तय हो गया |अब मैंने साथ के लिए सेतु निगम में काम करने
वाले सोनू भाई से बात की जो तुरन्त तैयार हो गए | सोनू वैसे उम्र में मुझसे छोटा है और
मुझे भैया ही कहता है पर मै मित्रवत ब्यवहार ही रखता हूँ इस यात्रा के प्रति उसके
उत्साह को देखते हुए ही मैंने उससे कहा | सारा कुछ तय हो जाने के बाद ही मैंने 24 मई को वाराणसी से हरिद्वार और 31मई को हरिद्वार से वाराणसी के लिए ट्रेन टिकट बुक
कर ली | दो धाम केदारनाथ और बद्रीनाथ के
लिया 5 दिन पर्याप्त लगा और बाद में यह आकलन सही भी सिद्ध हुआ चार धाम के
लिए 9 दिन पर्याप्त है | नीरज जाट जी से भी ई मेल से बात जिससे ट्रिप प्लान करने
में मदद मिली | वैसे सच कहूँ तो मेरे लिए यह ट्रिप धार्मिक से ज्यादा एडवेंचरस थी | मैंने
तैयारियां शुरू कर दी इसी बीच मैंने इस ट्रिप की चर्च अपने बचपन के मित्र और मेरे कई ट्रिप के साथी अमृत जी से कि, तो वो
भी तैयार हो गए और मैंने उनकी टिकट भी बुक करवा दी |अब बारी थी घरवालों को धीरे धीरे
बताने कि, क्योंकि त्रासदी के बाद वहाँ जाने के खिलाफ पूरा घर था खैर सकारात्मक
बातें करते हुए मैंने सभी को संतुष्ट कर दिया फिर भी श्रीमती जी के अन्दर के डर को
मै समझ पा रहा था | सच कहूँ तो मन मस्तिष्क पर त्रासदी की तस्वीरें छायी हुई थी और
अपने 1.5 साल के बेटे को देखकर मन में तमाम बातें आने लगी थी पर मैंने उन सबसे पर
पा लिया | जाने के उत्साह ने सभी आशंकाए समाप्त कर दी | जाने की तारीख नजदीक आने
पर मैंने सोनू व् अमृत जी आवश्यक सामानों की लिस्ट थमा दी जिसमें रेनकोट जैसी
चीजें शामिल थी | हम जब भी मिलते जाने सम्बन्ध में कुछ बाते जरुर होती |सोनू जी को
छुट्टी की समस्या जरुर थी पर हमेशा मुझे आश्वस्त करते था कि वह किसी कीमत पर चलेगें | मैंने भी अपने तमाम कामों को इस तरह सेट करना शुरू किया कि जाने में कोई दिक्कत न
हो |
2- सैदपुर से वाराणसी [24/05/2016]-
24 मई को सुबह से हम तैयारी में लगे थे | मेरा अनुभव यह है कि
इन यात्राओं में सामान कम से कम रखे लेकिन जहाँ जा रहे हैं वहा के मौसम के हिसाब से पैकिंग
जरुर करे|टार्च,थोड़ी दवाये,ड्राई फ्रूट्स,चने और सबसे जरुरी जहाँ जा रहे
हैं वहाँ का नक्शा होना ही चाहिए | बीच-बीच में अमृत जी व् सोनू से फोन पर बातचीत भी हो रही थी|
सैदपुर से वाराणसी 40 किमी है बस से आराम से 1 घंटे में पहुंचा जा सकता है और
हमारी ट्रेन रात में 1.50 पर थी तो हमने खाना-वाना खाकर घर से 8 बजे निकलना तय किया | शाम को जाने के पहले मित्रों से मिलने गया तो उन्होंने केदार जी व् बद्रीनाथ जी
के यहाँ चढ़ावे के लिएकुछ धनराशि भी दी जिसे मैंने सहर्ष स्वीकार किया| 8 बजे के करीब सोनू
से बात हुई तो सैदपुर बस स्टैंड पर मिलने की बात हुई अमृत जी को भी मैंने फोन करके
वही बुला लिया| 8.25 पर मै व् सोनू बस स्टैंड पहुँच गए वहाँ मेगा स्क्रीन पर
आर.सी.बी. व् गुजरात लायंस का क्वालीफायर मैच चल रहा था हम भी मजे से देखने लगे बीच बीच में
क्रिकेट के नए नए कीड़े मेरे भतीजे हर्ष का फोन भी आ रहा था आर.सी बी. उसकी फेवरेट
टीम जो थी इस
बार वाकई में विराट ने आईपीएल में गजब की परफोर्मेंस दी थी | थोड़ी देर
बाद ही अमृत जी भी आ गए और हम अगली बस आते ही उसमें चढ़ गए| फिर वह हुआ जिससे कि वाराणसी तक कि यात्रा मनोरंजक हो गयी |एक स्टोपेज पर कुछ जनाब लोग
बकरियाँ लेकर चढ़ गए कंडक्टर ने कुछ हुज्जत की फिर मान गया|रस्ते भर उनकी गतिविधियाँ
देखने में ही समय कट गया| हम करीब 10.10 पर वाराणसी पहुचे|उपासना एक्सप्रेस का समय 1.55 था तो हमारे पास काफी समय था तो अमृत जी ने आई.पी. मॉल में एक्स मैन
देखने की बात की और सभी ने सहर्ष स्वीकृति दे दी |फिर क्या था हम सभी ने क्लॉक रूम
में सामान रखा और टिकट लेकर थियेटर में हाजिर हो गए| आई.पी.मॉल.सिगरा वाराणसी कैंट
रेलवे स्टेशन से 2-3 किमी पर है | 12.40 पर थियेटर से निकल कर ऑटो करके 15 मिनट
में हम वाराणसी कैंट स्टेशन पहुँच गए| उपासना एक्सप्रेस प्लेटफार्म 5 पर आनी
थी तो हम भी प्लेटफार्म पर पहुंचे |थोड़ी देर ही में ट्रेन आ गयी बस एक दिक्कत थी
मेरी व् सोनू की बर्थ ए.सी.3 टियर में थी व् अमृत जी की स्लीपर क्लास में .....कंफ़र्म टिकट
के लिए ऐसा करना पड़ा था |खैर हम अपने कोच में पहुंचे सामान लॉक करने के बाद अमृत जी को
फोन किया तो वो भी अपनी सीट पर जम चुके थे हम लोग खाना घर से खा के ही आये थे
तो मैंने कोच की लाइट्स जलने तक कुछ लिखा फिर जल्द ही हम दोनों पसरकर सो गए|
3-ट्रेन से वाराणसी से ऋषिकेश वाया हरिद्वार[25/05/2016]-
सुबह उठाते ही सबसे मैंने अमृत जी को फोन किया तो बेचारे परेशान थे सहयात्रियों के शोर व् गर्मी ने उन्हें सोने नहीं दिया था |मैंने टी. सी.से
बात की तो वह अपग्रेड के लिए तैयार हो गए और अमृत जी साथ आ गए| करीब शाम 4 बजे हम हरिद्वार उतरे तो हमने ऋषिकेश जाना तय किया| स्टेशन से बाहर आने पर तमाम ऑटो वाले
ऋषिकेश जा रहे थे| हमारे ग्रुप के खाने के
शौक़ीन व् भोजन प्रभारी अमृत जी ने चाट खाने का प्रस्ताव रखा हम सभी ने शानदार चाट खाकर
ऋषिकेश के लिए ऑटो पकड़ लिया| करीब एक घंटे में हम ऋषिकेश पहुँच गए रास्ते में
हमें एक ओवर ब्रिज बनता दिखा जो राजा जी नेशनल पार्क को ट्राफिक से सुरक्षित करेगा| हम शाम 5.30 पर ऋषिकेश टैक्सी
यूनियन के पास पहुंचे| मेरे पास वहाँ का फोन
नंबर था तो मैंने यात्रा हेतु टैक्सी बुक
करने के लिए फोन किया तो उन्होंने एक घटें के बाद आने के लिए कहा । वही बगल से हमें एक
रास्ता गंगा नदी की तरफ जाता दिखा तो हम उधर ही चल दिये राम घाट करीब आने पर हमें जयराम
अन्न क्षेत्र ट्रस्ट का गेट दिखाई दिया तो हम कमरे की उम्मीद में अन्दर
प्रवेश कर गए| अन्दर से शानदार भवन था | ऑफिस में संपर्क करने पर एक डबल बेड कमरा मिल गया चार सौ रुपये में साथ में एक अतिरिक्त गद्दा भी ले लिया हमने अब अगले पांच
मिनट में हम कमरे में थे| कमरा ठीक ठाक था रुकने के हिसाब से अच्छी जगह है यह |यहाँ
ए.सी. कमरे भी हैं बड़े ग्रुप ज्यादा रुकते हैं यहाँ | शांत वातावरण व् राम घाट के किनारे
की स्थिति इसको खास बना देती है|चारो तरफ कमरे और बीच में बड़ी सी खाली जगह सुविधाजनक
है |कमरे में जाते ही हम फ्रेश हुए क्यों कि आफिस में बताया गया था की राम घाट की आरती जरुर देखें पर जब हम 8 बजे तक राम घाट पर पहुंचे तब तक आरती समाप्त
हो चुकी थी आरती का समय गर्मियों में 7 बजे का है पर गंगा के किनारे लगी रौशनी व्
कल कल करके बहती माँ गंगा में बनती उसकी छवि ने हम पर जादू कर दिया| सोनू तो
नहाने को तैयार थे पर पानी ठंडा होने
के नाते हमने उसे रोक दिया हम घंटो वही पानी में पैर डाल कर बैठे रहे फोटो खीचते रहे,किसी का भी वहाँ से
जाने का मन नहीं कर रहा था पर अब हमें भूख लगने लगी थी भोजन प्रभारी महोदय ने चलने की घोषणा की
और हम चल दिए उनके पीछे ...| पहले हम ऋषिकेश टैक्सी यूनियन के आफिस गए वहाँ
हमने 15000 रुपये
में दो धाम (केदारनाथ व् बद्रीनाथ) के लिए टैक्सी बुक की और अपने ड्राईवर चन्द्रमोहन जी से
मिले व् उनसे फोन नंबर का लेन देन कर सुबह 7 बजे जयराम ट्रस्ट आने की बात कह खाना
खाने चल दिए | अमृत जी पारखी नजरों ने एक सरदार जी दूकान खोज ही ली फिर क्या था
कुछ देर बाद ही सरदार जी अमृत जी मित्रवत हो चुके थे और हमें मिला एक शानदार
चटपटा भोजन | करीब 10 बजे तक हम कमरे में
वापस आ चुके थे तभी सोनू ने सामने स्थित राम घाट पर फिर टहलने की बात कही तो
मै और सोनू 50 मीटर दूर रामघाट पर चल दिए
और अमृत जी नीद के आगोश में| हम एक घंटे में वापस आये और सो गए|


